"क्या करें, रीति-रिवाज हैं... बच्ची का मामला है ना! "क्या करें, रीति-रिवाज हैं... बच्ची का मामला है ना!
'रमिया तो बदहवास सी हो जाती है। बस झूंझून के कपड़े और पगड़ी से ही पहचान पाती है 'रमिया तो बदहवास सी हो जाती है। बस झूंझून के कपड़े और पगड़ी से ही पहचान पाती है
लेखक : निकोलाय गोगल अनुवाद : आ. चारुमति रामदास और बाहर निकल गया, नहीं होता और जो हर गन्दी जगह पर ... लेखक : निकोलाय गोगल अनुवाद : आ. चारुमति रामदास और बाहर निकल गया, नहीं होता और...
बेटा यह इंसानी दुनिया हम जीवों को जीने नहीं देगी बेटा यह इंसानी दुनिया हम जीवों को जीने नहीं देगी
यह पक्षी जिस भी घर में या उसके आंगन में पाई जाती है, वहाँ सुख-शांति बनी रहती है यह पक्षी जिस भी घर में या उसके आंगन में पाई जाती है, वहाँ सुख-शांति बनी रहती है
जरा सी असावधानी बर्बादी बन जाती है नेटवर्क्स से। जरा सी असावधानी बर्बादी बन जाती है नेटवर्क्स से।